दूसरी पीढ़ी के कम्प्युटर
(Second Generation of Computer) (1956 - 1964)

Transistor


  • दूसरी पीढ़ी के कम्प्युटरों मे निर्वात ट्यूब की जगह सेमीकंडक्टर ट्रान्जिस्टर (Transistor) का प्रयोग किया गया जो अपेक्षाकृत हल्के, छोटे और कम विद्युत खपत करने वाले थे। 
  • कम्प्युटर के लिए सॉफ्टवेयर उच्च स्तरीय असेम्बली भाषा (High Level Assembly Language) मे तैयार किया गया। असेम्बली भाषा मे प्रोग्राम लिखने के लिए निमानिक्स कोड (Mnemonics Code) का प्रयोग किया जाता है जो याद रखने मे सरल होते है। अतः असेम्बली भाषा मे सॉफ्टवेयर तैयार करना आसान होता है।
  • डाटा तथा सॉफ्टवेयर के भंडारण के लिए मेमोरी के रूप मे चुंबकीय भंडारण उपकरणों (Magnetic Storage Devices) जैसे - मैग्नेटिक टेप तथा मैग्नेटिक डिस्क आदि का आरंभ हुआ। इससे भंडारण क्षमता तथा कम्प्युटर की गति मे वृद्धि हुई। 
  • कम्प्युटर के प्रोसैस करने की गति तीव्र हुई जिसे अब माइक्रो सेकंड (Micro second) मे मापा जाता था। (1/10 lakh second or 1/1000 Milli second)
  • व्यवसाय तथा उद्योग मे कम्प्युटर का प्रयोग आरंभ हुआ। 
  • बैच ऑपरेटिंग सिस्टम (Batch Operating System) का आरंभ किया गया। 
  • सॉफ्टवेयर मे कोबोल (COBOL - Common Business Oriented Language) और फ़ोरट्रान (FORTRAN- Formula Translation) जैसे उच्च स्तरीय भाषा (High Level Language) का विकास आईबीएम द्वारा किया गया। इससे प्रोग्राम लिखना आसान हुआ।