तीसरी पीढ़ी के कम्प्युटर
Third Generation of Computer (1965-1975)

IC Chip

  • तीसरी पीढ़ी के कम्प्युटरों मे ट्रांज़िस्टर की जगह इंटीग्रेटेड सर्किट चिप (Integrated Circuit Chip) का प्रयोग आरंभ हुआ। SSI (Small Scale Integration) तथा बाद मे MSI (Medium Scale Integration) का विकास हुआ जिससे एक इंटीग्रेटेड सर्किट चिप मे सैकड़ों इलेक्ट्रानिक उपकरणों, जैसे- ट्रांज़िस्टर, प्रतिरोधक तथा संधारित्र का निर्माण संभव हुआ। 
  • इनपुट तथा आउटपुट उपकरण के रूप मे क्रमशः की-बोर्ड तथा मॉनिटर का प्रयोग प्रचलित हुआ। की-बोर्ड के प्रयोग से कम्प्युटर मे डाटा तथा निर्देश डालना आसान हुआ। 
  • मैग्नेटिक टेप तथा डिस्क के भंडारण क्षमता मे वृद्धि हुई। सेमीकंडक्टर भंडारण उपकरणों (Semi Conductor Storage Devices) के कारण कम्प्युटर की गति मे वृद्धि हुई। 
  • कम्प्युटर का गणना समय नैनो सेकंड (ns) मे मापा जाने लगा। इससे कम्प्युटर के कार्य क्षमता मे तेजी आयी। (1 Nano second = 1/1000 Micro Second)
  • कम्प्युटर का व्यावसायिक व व्यक्तिगत उपयोग आरंभ हुआ। 
  • उच्च स्तरीय भाषा मे PL-1, PASCAL, तथा BASIC का विकास हुआ। 
  • Time Sharing Operating System का विकास हुआ। 
  • हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर की अलग-अलग बिक्री प्रारंभ हुई। इससे यूजर आवश्यकतानुसार सॉफ्टवेयर ले सकता था। 
  • 1965 मे DEC (Digital Equipment Corporation) द्वारा प्रथम व्यावसायिक मिनी कम्प्युटर (Mini Computer) PDP-8 (Programmed Data Processor - 8) का विकास किया गया।